देह को देहरी बना कर दीप एक ऐसा जला लो अर्थ हो न हो, परमार्थ हो ईश से मन को लगा लो देह को दीपक बना लो लौ प्रभु से लगा लो जीवन समर्पित हो प्रभु में आस अब ऐसी जगा लो
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